बेस अस्पताल में हार्ट केयर सेंटर बंद करने का फैसला सरकार का नहीं था वरन् इंस्टिटयूट का था
बेस अस्पताल स्थित हार्ट सेंटर को बंद करने का फैसला सरकार का नहीं था अपितु यह नेशनल हार्ट इंस्टिटयूट और उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी के नाते डा0 ओपी यादव का था। इसका मुख्य कारण कारण इस केन्द्र के संचालन के प्रति सरकार का ड़ीला रैवया, समयबद्ध तरीके से भुगतान का न होना एवं उपकरणाों के मरम्मत हेतु आवेदन या अन्य किसी समस्या को कई बार लिखित में भी सम्बंधित अधिकारियों को देहरादून सूचित करने पर भी किसी प्रकार का संतोषजनक उत्तर का अभाव रहा है।
इस बात की पत्रकारों को जानकारी देते हुए डा0 ओ0 पी0 यादव मुख्य कार्यकारी अधिकारी नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट नई दिल्ली ने आज कहा कि अल्मौड़ा स्थित नेशनल हार्ट इंस्टिट्यूट से वरिष्ठ विशेषज्ञों ने 216 दिन बेस हास्पिटल, अल्मोड़ा में सेवायें दी हैं, जिसमें से 108 दिन स्वयं उनके है। उन्होंने सचिव स्वास्थ्य उत्तराखण्ड की इस बात का खण्डन किया कि यहां पदस्थ दोनों डाक्टर योग्य थे न कि डिप्लोमाधारी जिन्होनें अपने स्नातक चिकित्सा शिक्षा रुस से प्राप्त की एवं उसके उपरांत भारत सरकार के नियम के तहत उन्हें फारेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन पास करने के बाद ही मेडिकल कॉउसिंल आफ इण्डिया ने इनका नाम दर्ज करते हुए इन्हें भारतीय उप—महाद्वीप में चिकित्सा व्यवसाय करने की अनुमति प्रदान की है। ये दोनों चिकित्सक स्नातक शिक्षा के बाद सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य इंटर्नशिप पूर्ण करने के बाद इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली द्वारा संचालित पाठयक्रम पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कार्डियोलाजी के दो वर्ष के पूर्ण कालिक प्रशिक्षण पूरा किया है।
डा0 ओपी यादव ने बताया कि अल्मोड़ा में 7 लोगों का स्टाफ था जिनमें दो काडियोलोजिस्ट थे उन्होंने सरकार पर उंगुली उठाते हुए यह भी कहा कि यदि वे योग्यता नहीं रखते थे तो इस संवेदनशील मामले में साढ़े तीन वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी सरकार द्वारा न तो मौखिक रुप से और न ही लिखित रुप से उन्हें अवगत किया। अब सरकार ने साझा—समझौता करार के अंतर्गत रुपया देना है।