जानिये:— श्राद्ध से पितरो को शक्ति मिलती है
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अश्विन मास की कृष्ण पक्ष पितृपक्ष के रुप में विख्यात है। इसका अभिप्राय है पितरों के प्रतिश्रृद्धा अर्पित करने उन्हें जलाजलि देकर मृत्यु तिथि पर श्रृद्धापूर्वक श्रृाद्ध करके पितृऋण चुकाने से है।
इस बार यह पितृपक्ष 13 सितम्बर से 28 सितम्बर 2019 तक है तथा 28 सितम्बर को पितृविसर्जन अमावस्या है।
आदि काल से यह धारणा बलवती रही है कि जब तक प्रेतत्व से मुक्ति नहीं मिलती है तब तक दूसरा जन्म नहीं होता तात्पर्य यह है कि जब तक स्वर्ग नरक के भोग पूर्ण नहीं होते मृत आत्मा पुन: शरीर रुप धारण नहीं कर सकती अब तक स्थूल शरीर को भिन्न भिन्न रुप से अंत्येष्टि क्रिया करने के उपरांत भी एक सूक्ष्म शरीर धारण करना पड़ता है। उस अवस्था को पितर अवस्था कहा गया है। जब तक मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती तब तक पुर्न जन्म और मृत्यु क्रम निरंतर जारी रहता है। पौराणिक मान्यतानुसार मृतत्मा तत्काल एक अति वहिक शरीर धारण कर लेती है। अंत्येष्टि क्रिया यानि शवदाह आदि संस्कार क्रिया से लेकर दस दिनों तक किए जाने वाले पिण्डदान से आत्मा दूसरी भोग देह धारण करती है।
अब परिजन अपने परिश्रम व ईमानदारी से अर्जित धन से श्रृद्धा पूर्वक श्रृृाद्ध करते है। तो पितर उन्हें आर्शीवाद देकर अपने लोकों को प्रस्थान करते है।
