शीत कालीन अवकाश रद्द किये जाने पर शिक्षक वर्ग में घोर नाराजगी
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रिर्पोट। एस एस कपकोटी।
सरकार द्वारा शीतकालीन अवकाश रद्द किये जाने पर शिक्षक वर्ग ने घोर नाराजगी जताई है। शिक्षक वर्ग का कहना है कि सरकार द्वारा शीतकालीन अवकाश रद्द किये जाने से पूर्व न तो कर्मिक संघों को विश्वास में लिया गया और न ही उनसे कोई वार्ता की गयी और पूर्व से चलती आ रही व्यवस्था को सरकार द्वारा तानाशाही दिखाते हुवे एक आदेश में बदल दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार अपनी मनमानी कर रही है। शिक्षक संगठनों का यह भी कहना है कि सेवा कर्मियों के लिए भारतीय सविधान अनुछेन्द के 309 के तहत सेवा शर्तो के लिए एक अधिनियम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम नहीं होने से सरकार द्वारा कभी भी कोई भी आदेश लागू कर व्यवस्था को बदल दिया जाता है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही शिक्षक संगठन का यह भी कहना है कि व्यवस्था को बदलने के लिए संबधित विषय को कैबिनेट में लाया जाय और उस पर राय सुमार करने के लिए समिति बनायी जाय और जनप्रतिनिधियों और जनमानस से भी राय लेकर उसे सदन में प्रस्तुत कर उस पर चर्चा की जाती है। परंतु यहां सरकार ने एक साधरण से आदेश में अपना तानाशाही रूप दिखा कर शिक्षकों के साथ अन्याय करते हुवे शीतकालीन अवकाश रद्द कर दिये है। जिससे शिक्षक संगठन घोर नारजगी व्यक्त करता है।
