दीपावली पर्व पर विशेष
दीपावली पर्वों की श्रृंखला में यह तीसरा एवं महत्वपूर्ण दिन है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार आध्यात्मिक रुप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। भारत वर्ष में मनाये जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार जब श्रीराम ने आश्विन शुक्ल दशमी को रावण पर विजय प्राप्त की थी। उसके बाद राम के वनवास के कुछ ही दिन शेष बचे थे। श्रीराम को बनवास की अवधि पूर्ण होने के दिन ही अयोध्या पहुंचना था क्योंकि भरत ने श्री राम से कहा था कि चौदह वष की अवधि पूर्ण होने के दिन यदि वह अयोध्या वापस नहीं पहुंचे तो वह अपने प्राण त्याग देंगे। भगवान राम को लंका से अयोध्या वापस आते—आते मार्ग में उन सभी लोगों से मिलना भी था जिनसे वह वादा करके आये थे कि अयोध्या जाते समय मिलकर जाऊंगा। लेकिन इतना समय नहीं था। इसके लिए विभीषण ने अपना पुष्पक विमान श्रीराम को दिया जिसमें बैठकर श्रीराम मार्ग में सभी लोगों से मिलते हुए समय से अयोध्या पहुंच सके। श्रीराम कार्तिक अमावस्या के दिन अपना चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या के नजदीक पहुंचते है तो वह भरत को सूचित करने हेतु हनुमान जी को नन्दीग्राम भेजते है। हनुमान जी जब भरत को श्रीराम के लौटने का समाचार सुनाते हैं तो भरत की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। भरत ने अयोध्या आकर सभी नगरनिवासियों के समक्ष घोषणा की कि आज हमारे राजा राम अयोध्या वापस पहुंच रहे है। इस अवसर पर अमावस्या की काली रात को दीपकों से जगमगा कर रोशन कर दिया जायें। भरत ने कहा कि भगवान राम के स्वागत में अयोध्या का कोई भी कोना अंधकार में नहीं रहना चाहिए। तभी से आज तक भारतीय समाज भगवान राम के अयोध्या आने की खुशी पर दीपोत्सव पर्व मनाता आ रहा है। दूसरी कथा के अनुसार कार्तिक अमावस्या को महालक्ष्मी की पूजन की परम्परा है। इस दिन सभी देशवासी माता लक्ष्मी की पूजा करते है। व्यापारी अपने बहीखातों को नये सिरे से प्रारम्भ करते है। लक्ष्मी के बारे में कहा जाता है। कि वह उलूक वाहिनी है उलूक रात्रि में ही देख सकता है। उस पर सवार होकर लक्ष्मी क्योंकि दिन में कहीं जा नहीं सकती। इसलिए रात्रि में ही भ्रमण करती है। ऐसे में ब्रहमाण्ड पुराण में महानिशीथ काल की लक्ष्मी पूजा को विशेष फल दायिनी कहा गया है। कुमायूं में लक्ष्मी पूजन पर गन्ने के तनों से लक्ष्मी की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है क्योंकि गन्ने के तने में लक्ष्मी का निवास माना गया है।
दीपावली के दिन से जुड़े कुछ तथ्य और भी है। जो इस प्रकार है:—
- सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी दीपावली के दिन ही हुआ था इसलिए दीप जलाकर खुशियां मनाई गयी थी।
- अमुतसर के स्वर्ण मन्दिर का निर्माण भी दीपावली के दिन ही शुरु हुआ था।
- जैनधर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर ने दीपावली के ही दिन बिहार के पावापुरी में अपना शरीर त्याग किया था।
- स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों ही दीपावली के दिन ही हुआ था।
- महर्षि दयानन्द का महाप्रयाण भी दीपावली के दिन ही हुआ था जिन्होंने आर्यसमाज की स्थापना की। — जगदीश जोशी